भारतीय क्रिकेट (TEAM INDIA) में कुछ ऐसे नाम होते हैं जो अपने शुरुआती करियर में तूफान मचा देते हैं, लेकिन फिर धीरे-धीरे गुमनामी में खो जाते हैं। ऐसा ही एक नाम है बरिंदर सरन (BARINDER SRAN), जिन्हें कभी टीम इंडिया (TEAM INDIA) का 'स्विंग किंग' कहा जाता था। सरन की स्विंग गेंदबाजी की तुलना पाकिस्तान के महान गेंदबाज वसीम अकरम से की जाती थी, लेकिन जसप्रीत बुमराह और भुवनेश्वर कुमार जैसे गेंदबाजों के उभार ने उनके करियर को धीरे-धीरे खत्म कर दिया।

अगस्त 2024 में बरिंदर सरन ने बिना किसी शोर-शराबे के इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया, और अब वह लाइमलाइट से दूर एक साधारण जीवन जी रहे हैं।

स्विंग के साथ TEAM INDIA में की थी शुरुआत

भारतीय टीम (TEAM INDIA) में बरिंदर सरन (BARINDER SRAN) ने 2016 में वनडे और टी20 में डेब्यू किया था। जहीर खान और आशीष नेहरा के बाद भारतीय टीम को एक बेहतरीन बाएं हाथ के तेज गेंदबाज की जरूरत थी, और सरन ने अपनी स्विंग गेंदबाजी से उम्मीदें जगाई थीं।

उन्होंने अपने करियर में 6 वनडे और 2 टी20 इंटरनेशनल मैच खेले, जिसमें उन्होंने वनडे में 7 और टी20 में 6 विकेट हासिल किए। खासकर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी प्रदर्शन ने उन्हें चर्चा में ला दिया था, लेकिन उनकी सफलता ज्यादा समय तक नहीं टिक सकी।

बुमराह ने खत्म किया BARINDER SRAN का करियर

TEAM INDIA में जसप्रीत बुमराह (JASPRIT BUMRAH) ने 2016 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर वनडे और टी20 में डेब्यू किया, तो सरन का करियर ढलान पर जाने लगा। बुमराह की लगातार सफलता और भुवनेश्वर कुमार की सधी हुई गेंदबाजी ने बरिंदर सरन को टीम इंडिया (TEAM INDIA) से बाहर कर दिया। इसके बाद सेलेक्टर्स ने सरन को दोबारा मौका नहीं दिया और उनकी वापसी की उम्मीदें धीरे-धीरे खत्म होती चली गईं।

गुमनाम तरीके से लिया संन्यास

बरिंदर सरन (BARINDER SRAN) ने अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच 22 जून 2016 को जिम्बाब्वे के खिलाफ खेला था। इसके बाद वह घरेलू क्रिकेट में भी संघर्ष करते रहे। फरवरी 2021 में उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी में पंजाब का प्रतिनिधित्व किया था, जहां उन्होंने मध्य प्रदेश के खिलाफ एक विकेट लिया था। इसके बाद से वे क्रिकेट के मैदान पर नजर नहीं आए। 29 अगस्त 2024 को, 31 साल की उम्र में, उन्होंने बिना किसी फेयरवेल के इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लेने का ऐलान किया।

बरिंदर सरन एक किसान परिवार से आते हैं, लेकिन अपने करियर में उन्होंने जिस ऊंचाई को छूआ, वह कई क्रिकेटरों के लिए प्रेरणा है। हालांकि, सेलेक्टर्स से मिले निरंतर मौके न मिलने और नई पीढ़ी के तेज गेंदबाजों के उभार ने उनके करियर को सीमित कर दिया।

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