इंग्लैंड के खिलाफ मुल्तान टेस्ट में अपने शानदार प्रदर्शन से सुर्खियों में आए साजिद खान (SAJID KHAN) कभी अपनी जिंदगी में एक-एक पैसे के लिए मोहताज थे। आज पूरे Pakistan में हीरो माने जाने वाले साजिद का सफर आसान नहीं रहा। मर्दान, Pakistan के इस खिलाड़ी ने गरीबी और कठिनाइयों का सामना करते हुए क्रिकेट की ऊंचाइयों को छुआ है।
मुल्तान टेस्ट (SAJID KHAN) की पहली पारी में साजिद ने इंग्लैंड के बल्लेबाजों को ध्वस्त करते हुए 7 विकेट झटके और Pakistan को 75 रनों की महत्वपूर्ण बढ़त दिलाई। दूसरी पारी में भी उन्होंने 2 विकेट लिए, जिससे Pakistan को जीतने में मदद मिली और उन्हें 'प्लेयर ऑफ द मैच' का खिताब भी मिला।
कठिन हालात में किया संघर्ष
साजिद खान (SAJID KHAN) की जिंदगी में संघर्ष तब शुरू हुआ जब वे सिर्फ 8 साल के थे और उनके पिता का निधन हो गया। घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उनके बड़े भाई ने रिक्शा चलाना शुरू किया, जबकि साजिद मोबाइल बेचकर परिवार का गुजारा करने लगे। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि वे मोबाइल के साथ-साथ बैट बेचने और उनकी मरम्मत का काम भी करते थे।
इस संघर्ष के बावजूद उनका क्रिकेट का जुनून कभी कम नहीं हुआ। अंडर-18 स्तर पर खेलने के बाद उन्हें खेल के ज्यादा मौके नहीं मिले, जिससे आर्थिक समस्याएं बढ़ने लगीं। आखिरकार, वे क्रिकेट छोड़कर दुबई चले गए और वहां एयरपोर्ट पर काम करने लगे। हालांकि, क्रिकेट के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें पांच दिन काम करने और दो दिन क्रिकेट खेलने का समय निकालने पर मजबूर कर दिया।
Pakistan क्रिकेट की दुनिया में वापसी
साजिद खान (SAJID KHAN) की मां की सलाह पर वे छह महीने के अंदर ही पाकिस्तान लौट आए और घरेलू क्रिकेट में वापसी की कोशिशें जारी रखीं। उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई और 2021 में उन्हें Pakistan की राष्ट्रीय टीम में शामिल कर लिया गया। 28 साल की उम्र में जिम्बाब्वे के खिलाफ उन्होंने टेस्ट डेब्यू किया और तब से अब तक 9 टेस्ट मैचों में 34 विकेट हासिल किए हैं।
घरेलू क्रिकेट में साजिद का प्रदर्शन शानदार रहा है। उन्होंने 68 फर्स्ट क्लास मैचों में 246 विकेट लिए और साथ ही 1647 रन भी बनाए। वनडे और टी20 में उन्हें अभी मौका नहीं मिला है, लेकिन फर्स्ट क्लास और लिस्ट ए क्रिकेट में उनका योगदान उन्हें एक शानदार खिलाड़ी के रूप में स्थापित करता है।