ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज जेसन गिलेस्पी ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। गिलेस्पी, जिन्होंने हाल ही में पीसीबी के साथ अपने पद से इस्तीफा दिया, ने खुलासा किया कि बोर्ड और उनके बीच संवाद की कमी ने उन्हें यह कदम उठाने पर मजबूर किया। उनका करार 2026 तक था, लेकिन लगातार बढ़ती चुनौतियों और असमंजस के बीच उन्होंने पद छोड़ने का फैसला लिया। उन्होंने कहा कि पीसीबी में काम करने के दौरान उन्हें लगा कि उनकी भूमिका को लेकर बोर्ड गंभीर नहीं है।

हाई परफॉर्मेंस कोच को लेकर जेसन गिलेस्पी हुए नाराज

जेसन गिलेस्पी ने बोर्ड द्वारा हाई परफॉर्मेंस कोच टिम नीलसन के करार का नवीनीकरण न करने को लेकर भी नाराजगी जताई। उन्होंने बताया कि इस फैसले के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई थी। उन्होंने कहा, "टिम नीलसन को हटा दिया गया और मुझे इस बारे में बाद में पता चला। मुझे पूरी तरह से अंधेरे में रखा गया। यही नहीं, पहले भी कई बार ऐसा हुआ जब मुझे अहम फैसलों से दूर रखा गया।"

जेसन गिलेस्पी ने एबीसी स्पोर्ट से बातचीत में बताया, "मैं पाकिस्तान क्रिकेट में बदलाव लाने और सकारात्मक योगदान देने के इरादे से जुड़ा था। लेकिन बोर्ड के रवैये ने मुझे निराश किया। मुझे लगा कि पीसीबी को मेरी जरूरत ही नहीं है।" गिलेस्पी ने बताया कि उनकी प्राथमिकता हमेशा चयनकर्ताओं के साथ बेहतर संवाद स्थापित करना था ताकि टीम के हित में फैसले लिए जा सकें। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान में पहले से ही कोचों को बार-बार बदलने की परंपरा रही है, जिससे क्रिकेट पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

बाबर आजम को टीम से बाहर करने पर दी सफाई

गिलेस्पी ने बाबर आजम को टीम से बाहर किए जाने के विवाद पर भी खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने साफ किया कि इस फैसले में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने कहा, "लोगों को लगता है कि बाबर को ड्रॉप करने का निर्णय मैंने लिया, लेकिन यह पूरी तरह गलत है। यह फैसला नई चयन समिति ने लिया था और मुझसे इस पर चर्चा तक नहीं की गई थी।"

गिलेस्पी का मानना है कि पीसीबी को अपने काम करने के तरीके में पारदर्शिता लानी होगी। उन्होंने कहा कि यदि बोर्ड अपने कोचों और खिलाड़ियों के साथ बेहतर संवाद बनाए रखता, तो पाकिस्तान क्रिकेट में सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकते थे।

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